मूलरूप

मूलरूप

तू खुशबू है
तुझे कैसे गिरफ्तार करूँ
मैं जो जल गया
मैं जो मिट गया
गल गया बह गया उड़ गया
मिल गया अग्नि अग्नि में पानी पानी में
ïआकाश आकाश में हवा हवा में
पृथ्वी पृथ्वी में समा गया और
बन गया तेरा ही मूलरूप
जिसमें मिला दो लगे उस जैसा
यही है उसका रंग मैं तो यही जानूँ
बस अब तो वो ही वो है, वो ही वो है
वो ही वो तो है, मैं कहीं नहीं
मैं तो कहीं नहीं, कहीं नहीं, कही भी नहीं
यही सत्य है
यहीं सत्य है।

  • प्रणाम मीना ऊँ

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