मान लो…

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मान लो तुम सहज हो सुंदर हो
तो हर आईना धुँधला पड़ जाता है
मान लो तुम साहसी हो आत्मविश्वासी हो
तो हर रुकावट हट जाती है
मान लो तुम रानी हो अपने घर की
तो हर दीवार सोने सी लगती है
मान लो तुम अन्नपूर्णा हो
तो हर व्यंजन स्वादिष्ट हो जाता है
मान लो तुम सरस्वती हो
तो हर पल कमल सा खिल जाता है
मान लो तुम लक्ष्मी हो
तो हर अभाव दूर हो जाता है
मान लो तुम शक्ति की प्रतिमा हो
तो हर पल ब्रह्मा विष्णु महेश बन जाता है
मान लो तुम सब से उत्कृष्ट हो
तो हर कार्य पल में सफल हो जाता है
मान लो तुम आज़ाद हो
तो हर बंधन कमज़ोर हो जाता है
मान लो तुम अपने आप में संपूर्ण हो
तो सुख शान्ति ऐश्वर्य सब आ जाता है
मान लो…बस मान लो
तो यही है सार जीवन का
तोड़ दो मन के सारे बन्धन
हर सपन को साकार करो
मान लो…
क्यूँकि मान लेने में क्या जाता है।

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