जो दर्द प्रभु देते
उस दर्द को वो भी
अनुभव करते पूरा का पूरा
झेले उन्होंने सभी दर्द तभी तो
मानव को भी प्रभुता देने को दर्द देते
जो कुछ भी घटा उनके साथ
वह सत्य ही तो होता है
वैसा वही मानव की क्षमता के
हिसाब से
मानव को भी मिलता जाता है
जो पात्रता के गणित पर खरा उतरता है
तो हे मानव ! वही पीड़ा वही दर्द पूरा का पूरा
बहुविध अनुभव कर
मीठा-मीठा आनन्द पाना
घूँट-घूँट मधुर-मधुर रस लेना ही तो
उसका दिया मान है अनुभूति है
भरपूर जीओ पीड़ा को
बढ़ा लो संवेदनशीलता को
ताकि कोई दंश
ताकि कोई दंश बाकी ना रहे
पीड़ा का कोई अंश अवशेष न रहे
बाकी रहे न कोई दंश
अवशेष रहे न कोई अंश
यही मंत्र है स्वयंभू होने का
शिवशक्ति से परिपूर्ण होने का
यही सत्य है
मानव जीवन का
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ