प्रणाम भारत

भारत जागरण अभियान- दूरदर्शिता और विवेक से परिपूर्ण पर्याप्त शब्द लिखे और बोले जा चुके। अब कर्म का समय है।

आत्मज्ञान और विवेक की स्वर्णिम भारतीय परम्परा एक वृहद आकार ग्रहण कर चुकी है, इस समृद्ध परम्परा की आधारशिला प्रणाम फाउंडेशन पर भव्य प्रासाद का निर्माण अवश्यम्भावी हो गया है। वास्तव में, अब कर्म की बेला प्रारम्भ हो चुकी है।

प्रणाम भारत, भारत के महान आध्यात्मिक मनीषियों व क्रांतिकारी चिन्तकों की युगदृष्टि के मर्म को आत्मसात् कर कर्म करने का आह्वान करता है। मुझे भारत की युवा शक्ति में पूर्ण विश्वास है। आवश्यकता है ऐसे व्यक्तियों की जो स्वस्थ मानसिकता के स्वामी हों। ऐसे शक्ति-सम्पन्न मस्तिष्क, जिसमें प्रेम व करुणा की धारा सतत् प्रवाहित हो रही हो। आत्म्बल व स्वाभिमान से ओतप्रोत हों।

प्रणाम भारत हृदयवान, कर्मनिष्ठ, सत्य संकल्प से अनुप्राणित, राग-द्वेष से मुक्त, आत्मसम्मान से परिपूर्ण उदात्त मनुष्यों को संगठित करने के लिए कृतसंकल्प है। वास्तव में, इन गुणों से अलंकृत व्यक्ति ही चरम योग की प्राप्ति का माध्यम बन सकते हैं। अर्थात् बौद्धिकता तथा आध्यात्म का गुंफन, जो मानव जीवन को लयात्मक तथा सामञ्जस्यपूर्ण बनाकर अर्थपूर्ण जीवन शैली के सृजन में सहायक होता है।

प्रणाम भारत प्रेम व कर्म की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान कर लक्ष्य प्राप्ति को सरल व सुगम बनाने हेतु प्रयासरत है। आत्मशक्ति सर्वोच्च है। समय की आवश्यकतानुसार सत्यपरक चिन्तन सम्पूर्ण विश्व का कायापलट कर सकता है। यह परमाणु अस्त्र से भी अधिक शक्तिशाली है। अस्त्र केवल विध्वंस कर कुरूपता का सृजन करता है। सत्य से परिपूर्ण व्यक्ति की आत्मशक्ति असत्यता, पाखंड तथा विद्रूपता पर विजय प्राप्त कर सौन्दर्य, सामञ्जस्य व संतुलन, अर्थात सत्यम् शिवम् सुन्दरम् की स्थापना करती है। स्वभावगत दुर्बलता से उत्पन्न स्वार्थपरक लक्ष्यों से छुटकारा दिलाकर मानव को विश्व-शान्ति तथा भ्रातृत्व की दिशा में अग्रसर करना ही प्रणाम भारत का उद्देश्य है। मानव जीवन एक उत्सव है। आओ, हम सब सत्य को आत्मसात् कर एकजुट हो जाएँ तथा इस जीवन को चिरस्थायी उल्लास में परिवर्तित कर दें।

प्रणाम भारत प्रत्येक सत्ययोगी प्रेमयोगी व कर्मयोगी को उद्वेलित कर आत्मशक्ति प्रदान करने के लिए कटिबद्ध है। यह आत्मिक शक्ति ज्ञान प्रेम व प्रकाश को समस्त दिशाओं में विस्तारित कर जनमानस में दैवीय गुणों का संचार करती है। प्रणाम भारत का अंग बनकर वेदभूमि भारतवर्ष को एक बार पुन: सर्वोच्च आध्यात्मिक शक्ति से अनुप्राणित भूमि में परिवर्तित करने तथा असत्यता, अपूर्णता और अज्ञानता को अस्वीकृत कर सत्यता, पूर्णता व ज्ञानशीलता की पुनर्स्थापना का संकल्प ग्रहण करें।

भारतीय जनमानस में भारत के गौरव को पुनर्जीवित करने की पूर्ण योग्यता, साहस तथा आध्यात्मिक शक्ति है। प्रणाम भारत राष्ट्र के पुनर्जागरण अभियान में नवीन प्राण संचालित करने हेतु कृतसंकल्प है। प्रणाम भारत गौरवशाली अरुणोदय की रश्मियों को चतुर्दिक विस्तीर्ण कर मातृभूमि के पुनर्जागरण अभियान में आत्माहुति देने के लिए भारत की महान जनता का आह्वान करता है। भारत एक महान राष्ट्र है। आइए, हम सब मिलकर भारत के पुरातन गौरव तथा श्रेष्ठता को पुनर्स्थापित करने का संकल्प करें।
सत्य की मशाल जलाए रखना
झूठ जल ही जाएगा याद रखना
सत्य का सुदर्शन चक्र
यहीं है यहीं है यहीं है
सत्यमेव जयते !
वन्देमातरम् !!

  • प्रणाम मीना ऊँ

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