प्रणाम का धर्म मानवता है
जो प्रकृति के नियमों की
सत्यता पर आधारित है।
मानव जीवन का सत्य क्या है
कैसे मानव अपने अन्दर छुपी
दिव्य शक्तियों को उजागर कर
विश्व में सत्य प्रेम व प्रकाश का
प्रसार कर सकता है
इसी का मार्गदर्शन प्रणाम में
उदाहरण बनकर मिलता है।
प्रणाम का कर्म- वेदभूमि भारत की
गौरवमयी संस्कृति के सौंदर्य की
पुन: स्थापना करना।
उसका मानव के शरीर मन व
आत्मा के उत्थान में क्या महत्व है
इसका सत्य बताकर
स्वयं ही उत्थान के मार्ग पर
अग्रसर होने की प्रेरणा देना है।
- प्रणाम मीना ऊँ