सात साधे सब सधे आप साधे जग सधे। सात रंग, सात स्वर, सात आकार, सात चक्र, सात ग्रंथियाँ, सात ऋषि, सात आकाश, सात तल अंतर्मन की गहराइयों के, सात समुद्र, सात दिन, सात ग्रह, सात सोपान युग चेतना के, मानव उत्थान के और सात ही शब्द सविता मंत्र के।
ऊँ भू : ऊँ भुव: ऊँ स्व: ऊँ मह: ऊँ जन: ऊँ तप: ऊँ सत्यम्
इन सबका ज्ञान व महत्व जानकर इस दिशा में प्रयास स्वत: ही मानव व सृष्टि संरचना के सब रहस्यों को खोल देता है। यह प्राकृतिक रूप से ही होना होता है। परम चेतना द्वारा ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति पूर्ति और विनष्टि सहज ही होती रहती है। परम शक्ति की ऊर्जा परिणाम की चिंता से रहित स्वत: ही प्रवाहित होती रहती है। यदि परिणाम सुरूप और सत्यमय हो तो पूर्णता की ओर विकसित होता है। यदि कुरूप और अपूर्ण हो तो समय पर नष्टï हो ही जाता है। परम ऊर्जा असत्य और अपूर्णता पर व्यय नहीं होती।
इन सब ब्रह्माण्डीय ऊर्जाओं को समझने व साधने के लिए कोई कष्टदायी पद्धति अपनाने की जरूरत नहीं। क्योंकि इन सबसे जुड़कर अपने अंदर अदम्य शक्ति-स्रोत का प्रवाह सदैव अनुभव करना मानव का प्रकृति प्रदत्त गुण है। आवश्यकता है कि मानव सदैव इन ऊर्जा स्रोतों के प्रति सजग रहे। आरम्भ में थोड़ा ध्यान लगाना पड़ता है बाद में यह सब सहज व स्वाभाविक प्रक्रिया में बदल जाता है। इन सबके लिए अलग से समय निकालने की आवश्यकता नहीं होती।
प्रणाम उस सुनहरे सतयुग को लाने के लिए कृतसंकल्प है जिसकी कल्पना और आशा हमारे सब दार्शनिक सूफी संत व युगदृष्टा करते रहे हैं। एक प्रेममय सत्यम् शिवम् सुंदरम् विश्व जहाँ सब आनन्द पूर्वक जीवन पर्व मनाएँ। अहमï् रहित विवेक जागे व सद्भाव बने। इसके लिए जात-पांत, रंगभेद, धर्मान्धता देशकाल सीमाओं का भ्रम टूटे एवं भेद मिटे। प्रत्येक के मन में ये सब भाव आते तो हैं पर इस सबके लिए शक्ति तभी आती है जब मानव आंतरिक व बाह्यï सब प्रकार से संतुलित हो। अपने अंदर शुद्ध पवित्र ऊर्जा प्रवाहित करें जैसे प्रत्येक कालपुरुषों ने किया। उन सब महात्माओं के अपने-अपने विशिष्ट गुण हैं और प्रत्येक मानव में यह क्षमता है कि उसे अपनाकर उन्नत हो।
इसके लिए, यदि यह ज्ञान तालिका जो सब दिनों की ऊर्जाओं, रंगों व शक्तियों को ध्यान में रखकर ही बनी है, इसका ध्यान रखकर पालन करें तो इससे हमें स्वत: ही मानसिक, आत्मिक व शारीरिक शक्ति प्राप्त होगी जो प्रणाम के योद्धा बनने में सहायक होगी।
सोमवार- शिव गुण अपनाने का भावनाओं के संतुलन का व पवित्र शुभ संकल्पों का दिन। रंग- नीला, खुशबू- चंदन, आहार सफेद वस्तुओं का- दूध, दही, चावल, साबूदाना, पनीर, खील, बताशा, नारियल आदि।
मंत्र- ऊँ श्राँ श्रीं श्रों स: चन्द्राय नम:।
मंगलवार- हनुमान गुण- सेवा, शक्ति, ब्रह्मचर्य, संयमित आचार-विचार, भक्ति का दिन, रंग- सिंदूरी लाल, खुशबू- गुलाब, आहार-पीले पदार्थ बेसन, चना, गुड़, संतरा, पपीता, केला आदि।
मंत्र- ऊँ क्राँ क्रीं क्रों स: मंगलाय नम:।
बुधवार- सरस्वती गुण अपनाने, सत्यम् वदं, हितम् वदं, प्रियम् वदं, ज्ञान प्राप्ति व विवेक जगाने, सद्बुद्धि प्रार्थना का दिन, रंग-सफेद व सलेटी, लाल-सफेद, खुशबू-मोगरा,आहार- पाँचों मगज बीज, मेवा, कमल ककड़ी, हरा पत्ता साग इत्यादि।
मंत्र- ऊँ ब्राँ ब्रीं ब्रों स: बुधाय नम:
बृहस्पतिवार- सभी गुरुओं के गुण व वचन अपनाने का, पूर्णता और दिव्यता की आकांक्षा करने का स्तुति करने का दिन, रंग-केसरिया या जोगिया, खुशबू- रजनीगंधा, आहार- पीला, गुड़, चना, सब्जी, फल, केसर, हलुवा आदि।
मंत्र- ऊँ ग्राँ ग्रीं ग्रों स: गुरवे नम:
शुक्रवार- जगत जन्मदात्री का, नि:स्वार्थ प्रेम, क्षमा, दया, ममता, करुणा, त्याग, संस्कार, शिक्षा-दान अपनाने का दिन। प्रकृति देश व माँ के प्रति कृतज्ञता व पूर्ण शक्ति-संकल्प का दिन। रंग- हरा, लाल, खुशबू-मोतिया, आहार-बादाम सोयाबीन, चना, मोटा अनाज, प्रोटीनयुक्त आहार, कंदमूल।
मंत्र- ऊँ द्राँ द्रीं द्रों स: शुक्राय नम:
शनिवार- सद्भाव शुद्धि मानसिक शारीरिक व वातावरण की, पुरानी गलतियों व आदतों में सुधार, शुचिता व सफाई का दिन। रंग-काला, सफेद व छींट नवरंग आदि। खुशबू-चम्पा चमेली, आहार-हल्का सुपाच्य पथ्य खिचड़ी, साबुत उड़द आदि।
मंत्र- ऊँ प्राँ प्रीं प्रों स: शनिए नम:
रविवार-सूर्य गुण अपनाने का दिन, खुशी बाँटने का दिन, ऊर्जा विस्तार का दिन, गीत संगीत का दिन। रंग-पीला, खुशबू- केसर, पीला भोजन-हल्दी वाले चावल, कढ़ी आदि।
मंत्र- ऊँ हृाँ हृीं हृों स: सूर्याय नम:
इन सबको करने के लिए अलग से समय नहीं निकालना बस ध्यान रहना है कि क्या-क्या करना है। इस प्रकार नियमित दिनचर्या से शरीर व मन का संतुलन होगा आत्मा का विस्तार होगा। शक्तिदायिनी तत्व अन्तर में जागृत होगा। भक्ति भी करो मनाही नहीं, पर जो पुरुषार्थ को जंग लगा दे, आलसी बना दे, तोते की तरह रट-रटकर खुद अपनी भक्ति को पूजा-अर्चना को दूसरों से ऊँचा समझने का साधन बना ले, ऐसी भक्ति से बचना है।
अब तो सत्य का सुदर्शन चक्र चलेगा ही यही समय का संदेश है। जहाँ भी अपूर्णता है उसका विनाश होगा ही। महाकाली शक्ति जागृत हो गई है। महाकाली जो असत्य को काटेगी ही। यही सत्य प्रणाम का शक्ति बीज मंत्र है। प्रणाम भारत का आह्वान है-
सत्य ही आगे चलेगा झूठ सब मिट जाएगा
ऐसे ही तो सतयुग आयेगा
यही है महाकाल की महाकाली शक्ति
अब जो चेतना सत्यमयी
प्रेममयी कर्ममयी होगी
वही सबकी चेतना जगाएगी
सत्यम् शिवम् सुंदरम् निर्झर बहाएगी
प्रतिपल प्रेम की गंगाधार
सत्य का सार, कर्म का आधार
प्रणाम हुआ साकार,
करे भारत माँ का उद्धार
हो जगत उजियार
यही सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ