हे मानव !
ऊर्जा का सत्यमय खेल पहचान उसका ज्ञान विज्ञान व प्रभाव जानकर अपने ऊपर काम कर। सत्य पवित्र और शक्तिमान ऊर्जा की उसके आभामंडल की तो तुझे खूब पहचान हो गई है, पर उसके साथ न्याय कैसे करना है यह भी तो जान, इसका सटीक विधान भी तो समझ। ”ऊँ” ब्रह्माण्डीय नाद से एकत्व का, ”गायत्री” मंत्र का व ग्रहों नक्षत्रीय ऊर्जाओं व शक्तियों के आह्वान के मंत्रों के स्पन्दनों का वो महती तत्व जान जिनसे पोषित हों प्राण। जहाँ से ऊर्जा लेता है उसके गुणों का चिन्तन मनन व ध्यान भी तो कर। अपनी बुद्धि व प्रवृत्ति के कीटाणु मिलाने का मोह त्याग।
परम से प्रवाहित नि:शब्द, नित्य निरन्तर प्रवाह के साथ-साथ बहना ही नियति है तेरी, उसी में छुपी है सद्गति तेरी।
मनुर्भव : सही मानव बन
सुमनाभव : सही मानसिकता जगा
सरस्वन्तम हवामहे : समस्वरित हो एकत्व जगा
मानवो मानवम पातु : मानव मानव को पोषित करे
एक दूसरे को प्रोत्साहन प्रेरणा व सहयोग देना ही मानवता की सेवा है। स्वयं सत्य ऊर्जा से ऊर्जान्वित हो सत्य प्रकाश की रश्मियाँविस्तीर्ण करने में ही मानव जीवन की सार्थकता है।
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ