1. कृतज्ञता और कृपा के लिए प्रार्थना करें
आज मैं दिव्य अनुग्रह की आकांक्षा करूंगा और कृतज्ञता में जीऊंगा। सार्वभौमिक ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक योग्य माध्यम होने के लिए प्रार्थना करें जो संपूर्ण और पूर्ण रूप से उपचार करता है।
2. प्रत्येक क्षण को पूर्णता से जीयो
आज मैं कर्तापन की भावना में नहीं रहूंगा और न ही किन्हीं वस्तुओं और स्थितियों की चिंता करूंगा। अपनी समस्त क्षमताओं के अनुसार हर क्षण को जीएं, बाकी सब प्रकृति के नियमों अनुसार ही होगा।
3. ऊर्जा का संतुलन – तालमेल और सामंजस्य हेतु
आज मैं तीव्र भावनात्मक उद्वेगों और क्रोध में अपनी ऊर्जा को क्षीण नहीं करूंगा। तीव्र उद्वेग और क्रोध नियंत्रण से बाहर महसूस करने का परिणाम हैं। यदि आप यह अनुभव कर रहे हैं तो अपने को दोषी ना माने, पर अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत रहें। अपने अवगुणों को देखने और अवचेतन आघात, दुर्बलताओं अपराधबोध और भय के कारण उत्पन्न भावनाओं को देख सकने का अवसर पाने के लिए आभारी हों।
4. अपने प्रति ईमानदार और सच्चा हो ओ
आज मैं अपने सभी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का उपयोग करके अपना काम पूरी तरह और ईमानदारी से करने की पूरी प्रयत्न करूंगा। स्वयं के प्रति ईमानदार होना सभी चीजों में सच्चाई का सामना करना है, सत्य स्पष्टता लाता है। स्वयं के प्रति ईमानदारी दूसरों में ईमानदारी को स्थापितकरेगी।
5. प्रेम और सम्मान सभी जड़ चेतन के प्रति
आज मैं जड़, चेतन और सब कुछ के लिए प्रेम और सम्मान दिखाऊंगा। प्रत्येक के लिए प्यार और सम्मान दिखाना अपनी धरती और स्वयं को प्यार करना और सम्मान करना है।
- प्रणाम मीना ऊँ