परमदाता परमेश्वर प्रभु
सिर्फ देता ही देता है
किसी को कुछ
किसी को कुछ
किसी को खुशी किसी को गम
किसी को साथ किसी को अकेलापन
किसी को धन किसी को मन
किसी को आराम किसी को कर्म
किसी को सेवा किसी को ज्ञान
किसी को भक्ति किसी को मर्म
जलवायु आकाश मिट्टी ताप
विस्तार प्रसार वरदान शाप
सुपात्र अनुरूप जीवन का अंत
तभी तो उसके रूप अनंत
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ