दुनियाभर का साहित्य पढ़ने के बाद यह समझ आया
तथ्य-सच तो मुट्ठी भर है बस चार बात समझनी हैं
जिसमें दो भूलनी है
दो याद रखनी हैं
भूल जाओ तुमने किसी का कुछ अच्छा किया
भूल जाओ किसी ने तुम्हारा बुरा किया
याद रखो सब कुछ निश्चित है पहले से ही, तो अहम् कैसा
मृत्यु सत्य है तो लगाव कैसा
जि़न्दगी पुल है गुजर जाओ
घर न बनाओ
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ