ज्ञान-दान दीक्षा

मुझे युग-युगान्तर तक सहज उपलब्ध हों
ज्ञान ब्रह्मा का दिल बड़ा ब्रह्माण्ड का
तेज सूर्य का अमृत चन्द्रमा का
विस्तार सागर का ज्ञान शारदा का
शक्ति शिव की नैतिकता विदुर की
गुण राम के त्याग दधीचि का
नीति-वैराग्य कृष्ण का क्षमा ईसा की
सेवा हनुमान की फकीरी कबीर की
भक्ति नानक की प्रीति मीरा की
तपस्या बुद्ध की दया महावीर की
प्रतिज्ञा प्रताप की चरित्र शिव का
बुद्धि की तीव्रता विवेकान्द की
प्रभावी व्यक्तित्व रजनीश का
सूक्ष्मदर्शिता अरविन्द की
कृपा सांई राम की श्रद्धा रविदास की
उदारता सनातन धर्म की
आँचल प्यारभरा माँ का
अनुपम प्रेम माँ भारती का
प्रभुता सत्य प्रेम कर्म व प्रकाश की
मुझे युग-युगान्तर तक
सहज उपलब्ध हों

हे प्रभु
गुरु के सत्य कर्म व धर्म की
शक्ति भी तो दो
देनी ही होगी
मन ही मन गुरु को शत्-शत् प्रणाम करती हूँ
प्रभु मेरे पापों को क्षमा करो
सत्याचरण नम्रता सहनशीलता की शक्ति दो
शक्तिरूप तुम स्वयं हो
कालचक्र फिर घूमा है
कालचक्र घुमाया मीना मनु ने
तुम्हारी प्राण शक्ति से प्रभु
मुझे तुम्हें ‘हे प्रभो’
शक्ति देनी ही होगी
मुझमें समाना ही होगा
यहाँ तक पहुँचाया
तुम्हारी ही मर्जी थी कृपा थी,
आगे भी तुम्हारी ही मर्जी
तुम्हारी कृपा की राह धैर्यपूर्वक देखूँगी
धैर्य भी तुम्हीं ने देना है
प्रभु मेरा मार्ग प्रशस्त करो
शक्ति दो
शक्ति का सही प्रयोग करने की बुद्धि दो
प्रभु मेरा जो कुछ भी है
वह सब तेरी ही कृपा का फल है
झूठ का लेशमात्र भी कष्टï देगा
यही सत्य है-सत्यमेव जयते

समय पर लाल रंग चमका
संदेश मिला
अपने अग्नि तत्व को
ऊर्जा के निरन्तर प्रवाह में बदलो
प्रणाम प्रभो
यही सत्य है
यहीं सत्य है
!!

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