प्रणाम अभियान विगत कई वर्षों से इसी उद्देश्य के लिए कर्मरत है और निरंतर आह्वान कर रहा है कि कलियुग में केवल जागरूकता ध्यान व कर्म, आंतरिक व बाह्य दोनों ही, पार लगाएंगे। जागरूक होना है व चैतन्य रहना है उन सभी घटनाओं और विधाओं के प्रति जो प्रकृति विश्व देश व मानव के स्तर पर घटित हो रही हैं।
सब कुछ परम बोधि-सुप्रीम इंटेलिजेन्स की सुनियोजित और सुनिश्चित व्यवस्था व अटूट कड़ी के परिणाम स्वरूप ही मूर्तरूप लेता है। तो यह प्रश्न करना कि ऐसा क्यों हुआ? या हो रहा है… सर्वथा व्यर्थ ही है। कलियुग में सत्य को केवल अपने सत्य पर पूरी निष्ठा व कर्मठता से टिके रहना होगा। जहां कहीं भी सत्ययोग व कर्मयोग का महायज्ञ चल रहा है वहां पूर्ण सहयोग की आहुति देनी ही होगी अन्यथा तटस्थता भी भयावह कष्ट का कारण बनेगी। सबसे सकारात्मक तथ्य यह है कि सत्य को झूठ से लड़ने उसके सम्मुख होकर सामना करने, वाद विवाद करने की और ना ही आलोचना या व्याख्या करके व्यर्थ में उसकी ऊर्जा बढ़ाने की आवश्यकता है। केवल पूर्णतया शान्तचित्त होकर ध्यान लगाना है तथा जो भी उचित व समयानुसार सबके लिए कल्याणकारी और मंगलमय है उस परिदृश्य का मानसिक चित्रण करके अपनी सम्पूर्ण एकाग्रता से प्रार्थना करना भी अनुपम योगदान होगा। ध्यान अत्यंत आवश्यक है इसी से सभी परिस्थितियों का कारण निदान व उनके लिए व्यक्तिगत कर्म स्पष्टता से समझ आने लगेगा। प्रत्येक उचित अनुचित व अवांछनीय घटनाओं के औचित्य का भी भान होगा। उत्तर प्रत्युत्तर व शब्दों की भरमार से कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला। ”होइहि सोइ जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा” –रामायण। यह समझ में आना अनिवार्य है कि सभी परिस्थितियां हमारे कर्म धुलवाने और हमें जागृत कर उन्नत होने को ही घटित होती है। यदि हम इनसे शिक्षा लेकर कर्मरत नहीं होते तो बार-बार दुहराई जाती है। पर अब गल्तियां दुहराने का समय कलियुग नहीं देने वाला।
एक बात भारतीयों से- सनातनी हिन्दू स्पष्टता से माने और कहें, हमें अपने सत्य सनातनी होने पर गर्व है। कभी सोचा अन्य धर्मों के अनुयायी कभी भी अपने धर्म व स्वजाति वालों की बुराईयाँ नहीं करते चाहे कितनी ही घृणित आतंकी गतिविधियों या जघन्य अपराधों में लिप्त क्यों न हों। ना जाने किस व्यक्तिगत लाभ हेतु हिन्दू ही क्यों प्रसार माध्यमों में भी दूसरों की कपटता की भरपूर वकालत करते हैं। हमारी इसी स्वार्थी मानसिकता ने हमें सदियों पराधीन रखा अब तो एकजुट होओ। शाश्वत सनातन सत्य धर्म का ज्ञान विज्ञान और महत्व जानकर अपनी मातृभूमि भारत के गौरव की पुनर्स्थापना करो।
स्वाभिमानी स्वावलम्बी और राष्ट्रप्रेमी बनो, किसी स्वार्थ लोभ या सत्तासुख की भूल भुल्लैया में राष्ट्र को दुर्बल करने वाली विपरीत शक्तियों के हाथ का खिलौना ना बनो अन्यथा समय की जो धारा बह रही है वह तुम्हें तिनके की भांति किनारे लगा ही देगी। श्री विवेकानन्द श्री अरविन्द आदि महान आत्माओं के स्वप्नों का भारत केवल दूरदृष्टि ही न रह जाए। इसलिए सही भाव सही सोच व एकता का महत्व जानो। अनिष्टकारी शक्तियों को हावी न होने दो।
समय सभी संकेत दे रहा है जब एक जैसी धारणा वाले एकजुट हो जाएंगे तो झूठ ही झूठ को मार लेगा सत्य को केवल अपनी सत्यता पर स्थित-दृढ़ रहकर असत्य से असहयोग व सत्यता से सहयोग करना है। तो समय की मांग व पुकार पर उठो कर्मरत होओ ताकि भारत का गौरव पुन:स्थापित हो तथा भारत जगद्गुरु प्रतिष्ठित हो।
जय सत्येश्वर!!
- प्रणाम मीना ऊँ