देवशयनी एकादशी को विष्णु अपनी शेषशैय्या पर शयन के लिए गमन कर गए। चौमासा लग गया श्री विष्णु जगत के नियंता, पालनहार सो गए और वो भी चार मास के लिए… क्या सच में संसार के स्वामी चार महीनों के लिए सो जाते हैं? तो ब्रह्माण्ड की व्यवस्था कैसे चलेगी?
इसको ऐसे समझें कि यदि देश के प्रधानमंत्री कुछ समय के लिए विदेश चले जाते हैं तो देश की व्यवस्था ठप हो जाती है क्या… किसी कंपनी का अध्यक्ष एक महीने की छुट्टी पर चला जाए तो क्या कंपनी चलती नहीं… कोई ना कोई तो सत्ता सम्भालता ही है विशेषकर जिसको कर्म सौंपा जाए। तो जगत के स्वामी भी यह अधिकार किसी ना किसी को देकर ही शयन करने जाते हैं।
जगदीश्वर के निद्रागमन करते ही गुरु शक्ति जागृत हो जाती है। गुरुपूर्णिमा उत्सव विश्वास दिलाता है कि सबका ध्यान रखना है और सबको सन्मार्ग पर चलाना है इस कर्म को पूर्णता देने को ही गुरु परम्परा का विधान है। गुरु जो प्रकाशित व जागृत हैं वो पूर्णतया सतर्क होकर जिज्ञासु साधकों का मार्गदर्शन करते हैं।
श्रावण मास में शिवत्व स्वरूप महादेव अपने समस्त गणों सहित सबका ध्यान रखने को तत्पर हो जाते हैं। श्रावण मास समाप्त होते ही विध्नहर्ता श्री गणेश जी की सवारी आ जाती है। घर द्वार आलोकित करने, सुख व आनन्द देने। गणेश जी के कैलाश धाम गमन के उपरांत पितरों के तर्पण अर्पण का पर्व आरम्भ हो जाता है। पितरों के आशीर्वाद सबकी रक्षा करते व ध्यान रखते हैं। पितृपक्ष पूरा होते ही कृष्ण जन्माष्टमी व्रत संकीर्तन शक्ति व सुरक्षा भाव देता है कि वो और उनका स्मरण तो सदा साथ ही है। तदुपरांत आद्या शक्ति मां जगदम्बा शेर पर सवार होकर पधार जातीं हैं…. नवरात्रि उत्सव ही उत्सव…. मां से बड़ा सुरक्षा कवच क्या होगा। घर की साफ सफाई साज सजावट प्रारम्भ… फिर दीवाली त्योहार… सरस्वती लक्ष्मी और महाकाली सभी उपस्थित रहतीं हैं। श्री राम नाम तुम्हारी रक्षा करता है आनंद देता है यह मान्यता भी है कि राम से बड़ा राम का नाम। विजयादशमी और दीवाली पर बहुत धूमधाम रहती है चहुंओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रहता है। वैसे भी श्रीविष्णु को एकांत अधिक भाता है। इस कारण चतुर्मास में पारम्परिक रूप से त्योहार मनाये जाते हैं और सभी विधाओं के गुरु सबको चैतन्य रखते हैं।
जड़ चेतन, प्रकृति पर्यावरण व मानवता सबका ध्यान रखना, सत्य प्रेम कर्म व प्रकाश का प्रसार करना। अपने आपको परिष्कृत करने की साधना करते रहना ही परम कर्तव्य होता है चतुर्मास में। परमेश्वर हरि आपके हृदय कमल में तो सदा ही विराजमान रहते हैं आपके जीवन के रथ को सही दिशा में ले जाने हेतु-
ऊँ श्री अनंताय: नारायणा:
मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् गरुड़ ध्वजाय। मंगलम् पुण्डरीकाक्ष:, मंगलाय तनो हरि।।
हरि ऊँ हरि !!
- प्रणाम मीना ऊँ