तेरा मेरा एक ही प्राण
प्रभो तुम ही तो भेजते हो जगह-जगह
क्यों कृष्ण क्यों
जगह-जगह फिराए तुम्हारा विरह
जो जो भी काम कराने हैं
जिन जिनके कर्म धुलवाने हैं खुलवाने हैं
तुमने मेरे कदम वहीं तो पहुँचाने हैं
क्यों चुना मुझे ही कृष्ण?
यही तो बात है
मीना के मुस्कराने की अन्तर में दर्द छुपाने की
दिल में अथाह विरह
ऊपर मनोहारी मुस्कान करे तेरा गुणगान
ना देना अभिमान मेरा तेरा तो एक ही है प्राण
कहाँ-कहाँ घुमाए तेरा विरह
अपने ही कर्म कराने को
बड़े चतुर हो प्रभो पर मीना जाने तुम्हारी चतुराई
सकल सृष्टि में क्रिया समाई
काठमांडू भेजा राज परिवार का कल्याण हुआ
गुजरात भेजा भूकंप ला दिया
न्याय विधान स्थापित किया
और भी बहुत कुछ कराते रहते हो कन्हाई
झूला धीरे-धीरे झुलाया करो
ओ सांवरे कन्हाई
यही तो है खुदाई तुम्हारी
सब जानो हो ओ मुरारी ओ मुरारी
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ