ऊँ शान्ति शान्ति शान्ति ऊँ  सम्पूर्ण विश्व शान्तिमय हो

ऊँ शान्ति शान्ति शान्ति ऊँ सम्पूर्ण विश्व शान्तिमय हो

हे मानव !
शान्ति वो नहीं है जो प्रमाद है आलस्य है अकर्मण्यता है या अज्ञान की वो निद्रा जिसमें अपना सत्य भुला दिया जाए। चारों ओर से बेखबर अचैतन्य, अपनी कर्महीनता में निमग्न, आत्मा की आवाज़ से अनजान, बेपरवाह और ढीठपन की हद तक सुस्ती-सी व्यापी रहे जिसे तुम भूल से मस्ती-सी भी मान लेते हो।

सच्ची शान्ति वो है जो परमशक्ति का स्रोत है, आन्तरिक जागृति का प्रमाण है, अन्धकार की समस्त सीमाओं को लाँघकर परम प्रकाश का आलिंगन है। अनन्त व्योम शान्ति से योग-मिलन का सुखद प्रसाद है। इसी शान्ति तत्व को जानकर पहचानकर धारण करना होता है।

हे मानव !
ऐसी ही परम शान्ति लाओ
तन मन में
शान्ति बिखेरो
अपने अणु-अणु में
शान्ति फैलाओ जग में


पूर्ण शान्तिधारक ही शान्ति प्रसार का माध्यम बन सकता है। शान्ति और प्रकाश के स्तम्भ बन सत्य और प्रेम की किरणें विस्तीर्ण करने के लिए ही तो आया है तू जग में। ताकि सबकुछ हो प्रेममय सत्यमय प्रकाशमय प्रभुमय। यही है प्रभुताई प्रभु की परिभाषा प्रभु की।

जोत से जोत
जलाते चलो
प्रेम की गंगा
बहाते चलो॥
यही सत्य है
यहीं सत्य है

  • प्रणाम मीना ऊँ

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