धर्म तो एक ही है इंसानियत
पूर्णता लाती है – आनन्द
अपूर्णता लाती है – तपस्या, तप
दोनों का ही काम है
सात ग्रहों, सात चक्रों की सातों ऊर्जाओं के संतुलन से ही पूर्ण शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की प्राप्ति हो पूर्णता की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।
कृतित्व पूर्णता व अपूर्णता का विनाश विवेक से ही उत्थान का मार्ग है।
कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं केवल पूर्णता और अपूर्णता है।
पूर्णता से परमानन्द की प्राप्ति होती है
अपूर्णता से कठिनाइयाँ मिलती हैं तपस्या के रूप में
पूरे जीवन का निष्कर्ष यही है।
सत
तप
यही सत्य है !!
- प्रणाम मीना ऊँ