आकांक्षा करो

एक ऐसे संवेदनशील हृदय की
जो सबसे नि:स्वार्थ प्रेम करे
ऐसे सुंदर हाथों की
जो सबकी श्रद्धा से सेवा करें
ऐसे सशक्त पगों की
जो सब तक प्रसन्नता से पहुंचे
ऐसे खुले मन की
जो सब प्राणियों को सत्यता से अपनाए
ऐसी मुक्त आत्मा की
जो आनन्द से सब में
लीन हो जाए।
यही सत्य है !!

  • प्रणाम मीना ऊँ

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