एक ऐसे संवेदनशील हृदय की
जो सबसे नि:स्वार्थ प्रेम करे
ऐसे सुंदर हाथों की
जो सबकी श्रद्धा से सेवा करें
ऐसे सशक्त पगों की
जो सब तक प्रसन्नता से पहुँचें
ऐसे खुले मन की
जो सब प्राणियों को सत्यता से अपनाए
ऐसी मुक्त आत्मा की
जो आनन्द से सब में लीन हो जाए
जो जड़-चेतन सब में एकाकार हो
समस्त सृष्टिï में लीन हो जाए
स्तुति
ओ प्रभु!
मुझे दृढ़ता, साहस व शक्ति दो
सद्ïविचारों व सत्य दूरदर्शिता को
कर्म में बदलने की
एक ऐसी अद्ïभुत क्षमता दो
जो सब मानव मस्तिष्कों का
भाव एक कर
सत्य प्रेम व प्रकाश के द्वारा
शान्ति और आनन्द के प्रसार का
सर्वत्र जन-अभियान चला दे
- प्रणाम मीना ऊँ