आँसू की बूँद जो बन गई मोती

आँसू की बूँद जो बन गई मोती
पानी बहुत ही शान्त एकदम ठहरा पानी
कहे आँखों का पानी
शान्त रहना है
खाली रहना है
हवा का रुख देखना है
सुबह की सुनहरी किरण क्या संदेशा लाई है
यही देखना है
संदेश का रूप देखना है
पहचानना है अनन्त के इस रूप को अपने ही में
धीरे-धीरे घूँट-घूँट बूँद-बूँद
रिस-रिस कर, पी-पी कर
अन्तर तक ऐसे समाकर
कि अन्तर का स्वरूप ही मिट जाए
सारा अस्तित्व जैसे एक संदेश ही बन जाए
एक एक रोम-रोम यही गाए, यही गाए
तुम आओ न, आओ
मेरा पूरा का पूरा रूप तुम्हारा स्वरूप बन जाए
तुम्हारा ही गुन गाए तुम्हारा ही प्रकाश फैलाए
यही सत्य है !!
यहीं सत्य है
!!

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