कितना अद्भुत असीम अपरिमित है
यह अवचेतन मन
सब जानता है देखता है और
एक कुशल पुस्तकालय वाचक, librarian, की तरह
सारे के सारे रिकार्ड रखता है
सदा संभालकर रखता है
सारी विकृतियाँ सारी स्मृतियाँ
विश्व की सबसे बड़ी और
सबसे सूक्ष्म पुस्तकालय यहीं तो है
भंडार चित्रों का घटनाओं का
रंगों का पाप-पुण्य के लेखों का
कुछ भी छुपा नहीं इससे
सब अंकित है इस अवचेतन मन पर
सम्पूर्ण जीवन व्यवहार क्रियाएँ
प्रतिक्रियाएँ परिणाम निर्भर इसी पर
लेकिन चतुर वही चेतन मन
चतुर वही चेतन मन…
जो सही क्षण पर
सही संदर्भ का ज्ञान ले
होता संभवामि युगे-युगे
सारी व्यथाएँ दूर करो माँ
हो कुसुमित मेरा जीवन
जगमग-जगमग दीया जलाऊँ
मनभावन जग उजियारा कर दूँ
जो हो तेरा सहारा मोहन प्यारा
प्रभु न्यारा तारनहारा
पायो कृष्ण स्वरूप वरदान
तव अंकुरित भयो प्रणाम !!
यही सत्य है
यहीं सत्य है