कितना अद्भुत असीम अपरिमित है
यह अवचेतन मन – सब जानता है देखता है और
एक कुशल पुस्तकालय वाचक की तरह
सृष्टि के सारे के सारे रिकार्ड रखता है।
सदा संभालकर रखता सारी विकृतियाँ सारी स्मृतियाँ
विश्व की सबसे बड़ी और सबसे सूक्ष्म लाइब्रेरी यहीं तो है
भण्डार चित्रों की घटनाओं का
रंगों का, पाप पुण्य के लेखों का
जन्मों का जन्मान्तरों का
कुछ भी छुपा नहीं इससे
सब अंकित है इस अवचेतन मन पर
सम्पूर्ण जीवन व्यवहार क्रियाएँ प्रतिक्रियाएँ
सभी परिणाम निर्भर इसी पर
लेकिन चतुर वही चेतन मन
चतुर वही चेतन मन
जो सही क्षण पर सही संदर्भ का ज्ञान लेकर
होता संभवामि युगे युगे
यही है सत्य !!
- प्रणाम मीना ऊँ