अँधेरे में एक उजाला हुआ

अँधेरे में एक उजाला हुआ

विश्वास का दिया बना भक्ति का तेल डाला
आत्मशक्ति से प्रकाशित हुआ
युगचेतना बन ब्रह्माण्ड में स्थापित हुआ
जग रोशन का संकल्प ले
प्रणाम का उद्भव हुआ
कलियुग में गीता का उद्घोष करने
मन से मन की जोत जलाने
आत्मा का आत्मा से विलय कराने
प्रेम प्रसार का धर्म ले
प्रणाम पूर्ण तत्पर हुआ
जागरण का संदेश लिए कर्म ही धर्म है
प्रेम सदा सफल है सत्य सदा विजयी है
प्रणाम का यही आदर्श हुआ
समान अधिकार हो मानवों का सम्मान हो
मानवता का उत्थान हो भारत सदा महान हो
प्रणाम का यही आधार हुआ
नारी का आदर रहे भावी पीढ़ी आगे बढ़े
मानव पूर्णता की ओर अग्रसर रहे
सत्यता का साम्राज्य रहे
प्रणाम इसी का प्रसार हुआ
काया निरोग हो प्रकृति से ही मन का योग हो
आत्मा निर्मल निर्भय हो वेद स्वरूप विज्ञान हो
सत्यम् शिवम् सुंदरम् प्राणों का आयाम हो
प्रणाम का यही कर्म हुआ
प्रेमयोगी कर्मयोगी सत्ययोगी धरा पर हों
वेदवाक्य मानव चरमोत्कर्ष का उदाहरण हों
सम्पूर्ण विश्व उल्लासपूर्वक वसुधैव कुटुम्बकम् हो
प्रणाम का यही प्रणाम हुआ
मन ही मन का साथी रहे भक्ति का दरिया बहे
प्रकृति माँ का आंचल हरा रहे सर्वत्र प्रेम ही प्रेम बढ़े
हृदय पुलक से भरा रहे प्राणशक्ति से प्रणाम बढ़ता रहे
भूमण्डल पर प्रणाम ही प्रणाम हो
यही हम सबका प्रणाम हुआ
वंदेमातरम
यही सत्य है
यहीं सत्य है

  • प्रणाम मीना ऊँ

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