मेरे ज्ञानचक्षु का बिन्दु बन गया
सभी गुरुजनों ने स्वयं हाथ रखा
दीक्षा दी दर्शन दिया मार्ग दिखाया
सब कुछ इसी शरीर में रखे-रखे
मन-मस्तिष्क आत्मतत्व में समाया
बनी कड़ी उत्थान की मीना की काया
प्रभु आया
यही सत्य है।
यहीं सत्य है।
- प्रणाम मीना ऊँ