भाग 1 : मीना का विज्ञान
प्रभु – Supreme – परम
प्रभुता – Supremacy – परमता परम तत्व
अणु तत्व – Essence of atom
सत्य का तत्व – Essence of truth
अणु – Atom-essence of whole & complete
पूर्णता का तत्व
अपनी पूर्णता में स्थिर मीना
तुम मेरे चारों ओर आ जाते हो
इर्द-गिर्द घूमते हो
मेरे ही आसपास
ऊर्जा पाकर लेकर
फिर दूर भाग जाते हो
अपने कर्म खेलने खिलाने को
पर मेरी परिधि से दूर भी नहीं
हो पाते हो
बस पास आने और दूर जाने का
क्रम चलता रहता है
और चलता ही रहेगा
जब तक तुम
मेरी ही तरह पूर्ण होकर
अपने में ही स्थित नहीं हो जाते
अपना एक पूर्ण अस्तित्व बनाते
अपना एक पूर्ण अस्तित्व बनाते
जब वो हो जोओगे
तो मेरे पारदर्शी पारे जैसे
पारे जैसे अस्तित्व में समाकर
पूर्ण योग विलय समरूप
तो एक ही हो जाओगे
एकाकार हो जाओगे
मेरे से अलग
तुम्हारा वज़ूद है ही नहीं
कर्मों से लिप्तता
कर्ताभाव की सत्ता ही तो बस
तुम्हारी भागदौड़ का कारण है
और
मेरा अणु रूप तुम्हें स्वयं नहीं बुलाता
केवल दृष्टा बन देखता है
तुम्हें ऊर्जा देता है
तुमसे घिरकर भी टिका रहता है
मगर बंधित नहीं बाधित नहीं
मेरा अणु रूप
सृजनता का पूरक बना मूक दृष्टावान
तुम्हारी क्षमताओं को तुम्हारे ही
कर्मों की तपस्याओं और
परीक्षाओं से
निकलते जूझते विनष्ट होते हुए देखता
पूर्णता की ओर बढ़ते हुओं की
स्वत: ही शक्ति बनता
भाग्यविधाता
कर्मनियंता
सृजनता पूर्णता व संहार का
चक्र रचता
चक्र रचता
मेरा अणु रूप
मीना का अणु रूप
सत्य स्वरूप प्रेम का प्रतिरूप
कर्म का गतिरूप
यही सत्य है
यहीं सत्य है
- प्रणाम मीना ऊँ