सत्य प्रेम कर्म प्रकाश का
मंगलकारी चतुर्भुज
प्रथम मंगलकारी एक ओंकार नाम
तन मन छाए अनन्त परम विश्राम
सत्यरूप का जो मानव करता ध्यान
हो जाए प्रेममय स्वरूप भगवान
दूजा मंगलकारी पावन आत्मवान
कर्म बंधन तोड़ प्रकाशित मुक्तिवान
ऐसी सुवासित आत्मा को जो सिमरे
तन-मन-बुद्धि का सब संताप बिसरे
तीसरा मंगलकारी सच्चा ऋषि-संत
कलियुग तारण निर्मल सत्संग
प्रेमयुक्त योगी परमात्म समरूप
दिखलावे जीवन का सत्य स्वरूप
चौथा मंगलकारी माना मार्ग यह मान
सत्य स्थापन हेतु आया यह जान
प्रकाशमय सदा अपने आपको भान
साध कर्म नित निरतंर धर्म प्रधान
सर्वमंगलकारी सतकर्म प्रेम प्रकाश
मंगलमय करे पूर्ण धरती आकाश
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ये चारों धाम
इस ज्योतिर्मय चतुर्भुज को प्रणाम
बस प्रणाम ही प्रणाम
बस प्रणाम ही प्रणाम
यही है सत्य
यहीं है सत्य
- प्रणाम मीना ऊँ