प्रणाम

प्रणाम

प्रणाम प्रेम और प्रकाश के लिए प्राणों का
विनम्र प्रयास है। प्रणाम विस्तार है- सत्य
जागृत और सुंदर आत्मा का।
अपने जीवन के प्रत्येक दिन के नवप्रभात में
सही मानव का होना आनन्द करो। रूपान्तरण में आओ।

– कर्म धर्म है
– प्रेम कभी विफल नहीं होता
– सत्य की सदा जय है

जोत : एक रोशनी जो सब ब्रह्माण्डों से परे है
करोड़ों सूर्यों से भी तेजवान है
प्रकाश से भी वेगवान है
सम्पूर्ण सृष्टि उजागर कर दे
वह तो तेरे अंदर ही है रे मूर्ख मानव
तेरे मन में ही है वह ज्योति
जो सब रोशनियों की सरताज है
देख समझ पहचान – तू ही प्रभु
तू ही प्रेम प्रेम ही प्रभु
ओ प्रभु के अंश बन जा प्रभु
बन जा रोशनी कर दे जग रोशन।
नई आशा जगी है मन में
पूर्ण विश्वास है मानवता में।
आएगा वही सवेरा, जो होगा
मेरे ख्यालों का बसेरा
जला ज्ञान ज्योति प्रभुमयी
गीतामयी हुई मीना
बनी कल्कि अवतार कड़ी
सत्यमेव जयते॥

  • प्रणाम मीना ऊँ

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