दीया जलाना ही काम है मेरा
काम है मेरा प्रभु द्वारा सौंपा गया।
करूँ दूर अँधियारा पर मैं कौन हँ दूर करने वाली !
तेल बाती सब तो है तेरे अन्दर
हे मानव !
ज्योति जला भी दी मैंने प्रभु आज्ञा से, तो भी
उसे निरन्तर जलाए रखने के लिए
जतन तो तेरा अपना ही होगा न
ज्योति निरंतर जलती रहे तो
विषय विकारों की आँधियों से बचाना,
ज्ञान ध्यान का तेल डालकर
दीया बुझने न देने का
पुरुषार्थ तो तुझे
स्वयं ही करना होगा !!
- प्रणाम मीना ऊँ