एक और गुण, प्रभुताई का

ओ मानव ! आज तुझे प्रभु का एक और गुण बताती हूँ। ध्यान से सुन… वैसे तो वो सभी काम चुटकियों में कर सकते हैं। पर जब तू कर्ता बनता है तो कहते हैं कर ले बच्चू अपने आप और जब तुझसे नहीं हो पाता तो कहते हैं मज़ा चख अपने कर्तापन ढोने का और जब तू बिना काम किए बिना कर्ता बने कहता है कि हे प्रभु तुम्हीं कर दो तो कहते हैं कि कर्म कर अब तू बिचारा क्या करे बहुत दुविधा संशय में डाल देते हैं प्रभु तो !

इसलिए यह सत्य जान ले कि प्रभु केवल दृष्टा बनकर देखते रहते हैं कि तू कितनी ईमानदारी से कर्तापन रहित हो परिश्रम कर रहा है। जब देखते हैं कि तूने अपनी पूरी क्षमताओं सहित पुरुषार्थ किया अब कोई अन्य उपाय है ही नहीं तो समय की आवश्यकतानुसार झट से एकदम अचानक कर्म फलीभूत कर देते हैं।

ऐसे ही जैसे एक प्रेममयी माँ अपने बच्चे को ऊंची जगह पलंग या कुर्सी पर चढ़ने की भरपूर कोशिश करने देती है पर जब देखती है सम्भव ही नहीं, बच्चे ने अपनी पूरी क्षमता लगा दी तब बालक को ऊपर चढ़ा प्रसन्न कर देती है।

ऐसे ही हैं प्रभु तो कहते हैं न कि
ऊपर वाले के यहां देर है अंधेर नहीं
वही परम दृष्टा ही तो हैं हमारे सब कुछ !
तुम्हीं हो माता-पिता तुम्हीं हो
तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्हीं हो

यही है सत्य
यहीं है सत्य

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